Navratri Wishes in Sanskrit: अर्थ सहित शुभकामनाएँ और संदेश
Navratri Wishes in Sanskrit: अर्थ सहित शुभकामनाएँ और संदेश
नवरात्रि नौ देवियों की महिषासुर पर विजय को दर्शाने का त्यौहार है, हर देवी की अपनी अलग शक्ति, व विशेषता है,
जैसे हमारी पहली देवी है – शैलपुत्री
( संस्कृतेन नवरात्रि अभिवादनानि पठन्तु!नवरात्रिः नवदेव्याः महिषासुरस्य राक्षसस्य उपरि विजयस्य उत्सवः अस्ति । प्रत्येकदेव्याः स्वकीया विशिष्टा शक्तिविशेषता च भवति, अस्माकं प्रथमा देवी शैलपुत्री इव। )
इनको हम पर्वत की बेटी के नाम से जानते हैं। क्योंकि वेदों की जानकारी के अनुसार इनका जन्म पर्वतराज हिमालय के घर पर हुआ था ।
( वयं तां गिरिपुत्रीं जानीमः यतो हि वेदानुसारं पर्वतराजस्य हिमालयस्य गृहे जातः ।)
दूसरी देवी हैं – ब्रह्मचारिणी , जिन्होंने अपनी कठोर तपस्या द्वारा भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त किया । ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली तो जो तपस्या का आचरण करती है उनको कहा गया ब्रह्मचारिणी ।
(द्वितीया देवी ब्रह्मचारिणी अस्ति, या कठोरतपस्येन भगवन्तं शिवं पतिं प्राप्तवती। ब्रह्मा तपः इत्यर्थः, चारिणी च अभ्यासकर्तृ इत्यर्थः, अतः तपस्यां कुर्वन्तः ब्रह्मचारिणी इति उच्यन्ते।)
तीसरी देवी का नाम है चंद्रघंटा ,जो कि अपने मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र धारण किये हैं, जिसके कारण उन्हें चंद्रघंटा भी कहा जाता है.
( तृतीयदेव्याः नाम चन्द्रघण्टा, या शिरसि घण्टाकारं अर्धचन्द्रं धारयति, यस्मात् कारणात् सा चन्द्रघण्टा इति अपि उच्यते ।)
चौथे स्थान की देवी है, कूष्माण्डा देवी। कुष्मांडा अष्टभुजा से युक्त हैं। इसलिए इन्हें देवी अष्टभुजा के नाम से भी जाना जाता है। जब सृष्टि नहीं थी, चारों तरफ अंधकार ही अंधकार था, तब इसी देवी ने अपने ईषत् हास्य से ब्रह्मांड की रचना की थी। इसीलिए इसे सृष्टि की आदिस्वरूपा या आदिशक्ति कहा गया है
(चतुर्थस्थानस्था देवी कूष्माण्डा देवी अस्ति। सा अष्टभुजासंयुक्ता अस्ति, अतः एव तां ‘अष्टभुजा देवी’ इति अपि प्रसिद्धा। यदा सृष्टिः नासीत्, सर्वत्र अन्धकारः एव आसीत्, तदा अस्याः ईषत् हास्येन एव ब्रह्माण्डस्य रचना अभवत्। अतः एव एषा देवी सृष्टेः आदिस्वरूपा अथवा आदिशक्तिः इति कथ्यते।)
कार्तिकेय को जन्म देने के कारण ही, मां दुर्गा के इस स्वरूप को ‘स्कंद की माता’ या स्कंदमाता कहा जाता है।स्कंदमाता की गोद में बालक स्कंद बैठे होते हैं।
( पञ्चमे स्थाने या देवी विराजते सा स्कन्दमाता देवी इति ख्याताऽस्ति। कार्तिकेयस्य जन्मदायिन्या रूपेणैव देवी दुर्गायाः एषः स्वरूपः ‘स्कन्दमाता’ इति प्रसिद्धः। स्कन्दमातायाः गोदस्यां बालः स्कन्दः उपविष्टः दृश्यते।)
छंटवी देवी हैं – कात्यायनी देवी ।
सातवी देवी – कालरात्री – माँ का स्वरूप अंधेरे की तरह काले रंग को दर्शाता है इसलिए काल रात्रि कहते है,
आठवीं देवी -महा गौरी
और नवीं देवी – सिद्दीदात्रि देवी,
प्रत्येक दिन नवरात्रि में एक विशेष देवी की पूजा की जाती है.
( षष्ठी देवी कात्यायनी देवी अस्ति।सप्तमी देवी कालरात्रिः — अस्याः स्वरूपः अन्धकारवत् कृष्णवर्णं दर्शयति, अतः तां ‘कालरात्रिः’ इति कथ्यते।अष्टमी देवी महागौरी।नवमी देवी सिद्धिदात्री देवी। नवरात्रोत्सवे प्रतिदिनं विशेषा देवी पूज्य)ते।
नवरात्रि 2025 : सामान्य प्रश्नोत्तर (FAQ)
प्रश्न 1. नवरात्रि 2025 कब से कब तक मनाई जाएगी?
नवरात्रि 2025 का आरंभ 22 सितंबर 2025 (सोमवार) से होगा और इसका समापन 30 सितंबर 2025 (मंगलवार) को होगा।
प्रश्न 2. नवरात्रि क्यों मनाई जाती है?
नवरात्रि देवी दुर्गा और उनके नौ स्वरूपों की पूजा का पर्व है। यह उत्सव असत्य पर सत्य की, अन्याय पर न्याय की तथा बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।
प्रश्न 3. नवरात्रि में कितने स्वरूपों की पूजा होती है?
नवरात्रि में माँ दुर्गा के नौ रूपों – शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघण्टा, कूष्माण्डा, स्कन्दमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री – की पूजा की जाती है।
प्रश्न 4. नवरात्रि में व्रत रखने का क्या महत्व है?
व्रत रखने से मन शुद्ध होता है, आत्मबल बढ़ता है और साधक को आध्यात्मिक शक्ति की अनुभूति होती है।
प्रश्न 5. नवरात्रि में कौन-से रंग शुभ माने जाते हैं?
प्रत्येक दिन के लिए एक विशेष रंग शुभ माना जाता है। जैसे – पहले दिन पीला, दूसरे दिन हरा, तीसरे दिन ग्रे, चौथे दिन नारंगी, पाँचवें दिन सफेद, छठे दिन लाल, सातवें दिन नीला, आठवें दिन गुलाबी और नौवें दिन बैंगनी रंग।
प्रश्न 6. नवरात्रि में घटस्थापना का क्या महत्व है?
घटस्थापना को सृष्टि की शुरुआत और शक्ति की उपस्थिति का प्रतीक माना जाता है। कलश में स्थापित जल, देवी के जीवनदायी स्वरूप का द्योतक है।
प्रश्न 7. नवरात्रि में कन्या पूजन कब और क्यों किया जाता है?
नवरात्रि के अष्टमी या नवमी तिथि को कन्या पूजन किया जाता है। यह पूजा माँ दुर्गा के बाल रूप की आराधना है और इसे शुभ एवं फलदायी माना जाता है।
प्रश्न 8. नवरात्रि में जगराता या गरबा क्यों होता है?
यह देवी की भक्ति और आनंद का सामूहिक रूप है। जगराता भजन-कीर्तन से भक्ति को गहराता है, जबकि गरबा और डांडिया माँ शक्ति के उत्सव का सांस्कृतिक प्रतीक है।
प्रश्न 9. नवरात्रि में क्या नहीं करना चाहिए?
इस समय मद्यपान, मांसाहार, क्रोध, झूठ और आलस्य से दूर रहना चाहिए। यह साधना और आत्मसंयम का पर्व है।
प्रश्न 10. नवरात्रि का आध्यात्मिक संदेश क्या है?
नवरात्रि यह संदेश देती है कि जब हम भीतर की नकारात्मकता को हराते हैं, तब जीवन में शांति, शक्ति और सफलता प्राप्त होती है।
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नवरात्रि सम्बन्धी प्रश्नोत्तरः (FAQ)
प्रश्न 1: नवरात्रोत्सवः कदा भवति?
उत्तरः: नवरात्रोत्सवः आश्वयुज-मासे शुक्ल-पक्षे प्रतिवर्षं सम्पद्यते।
प्रश्न 2: नवरात्रि उत्सवः कियत्-दिनानि भवति?
उत्तरः: एषः उत्सवः नव-दिनानि यावत् भवति, अतः “नवरात्रि” इति नाम अस्ति।
प्रश्न 3: एतेषु नवसु दिनेṣu केषां देवीरूपाणि पूज्यन्ते?
उत्तरः: शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघण्टा, कूष्माण्डा, स्कन्दमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री—एते नवदुर्गारूपाणि पूज्यन्ते।
प्रश्न 4: नवरात्रे किमर्थं देवी-पूजा क्रियते?
उत्तरः: नवरात्रे दुर्गादेवीरूपेण शक्तेः आराधना क्रियते यतः सा धर्मस्य संरक्षणं, अधर्मस्य नाशं च करोति।
प्रश्न 5: नवरात्र्याः सांस्कृतिकं महत्वं किम्?
उत्तरः: नवरात्रि केवलं धार्मिकः उत्सवः नास्ति, अपि तु सांस्कृतिक-समरस्यानां, नृत्यगीत-कलानां च उत्सवः अपि अस्ति।
प्रश्न 6: नवरात्रौ केन प्रकारेण उपवासः क्रियते?
उत्तरः: नवरात्रौ भक्ताः फलाहारं सेवन्ते, अनशनं वा कुर्वन्ति, तथा च नियमेन ध्यान-जप-पूजनानि अपि योजयन्ति।
प्रश्न 7: अयं उत्सवः भारतस्य केवलं कस्यचित् प्रदेशे एव आचर्यते वा सर्वत्र?
उत्तरः: अयं उत्सवः सर्वत्र भारतदेशे विविधरूपेण आचर्यते—गुजराते “गरबा”, पश्चिमबङ्गे “दुर्गा-पूजा”, अन्येषु स्थलेषु हवन-पूजनादिना।
प्रश्न 8: नवरात्रे दशमदिनं किम् उच्यते?
उत्तरः: दशमदिनं “विजयादशमी” अथवा “दशहरा” इति उच्यते, यस्मिन् दिवसे भगवान् रामः रावणं विजित्य धर्म-जयः अभवत्।
—Navratri Wishes in Sanskrit: अर्थ सहित शुभकामनाएँ और संदेश
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