बाल मजदूरी – एक अभिशाप

Cda90576e717fd4e2464a8fbb53a4117

बाल मजदूरी – एक अभिशाप

प्रस्तावना- भारत जैसे विकासशील देश में बाल मजदूरी एक गंभीर सामाजिक समस्या है। यह केवल एक अपराध ही नहीं, बल्कि बचपन की हत्या है। जब एक छोटा बच्चा अपने नन्हे हाथों से किताबों की जगह औजार थाम लेता है, तो यह न केवल उसके भविष्य को अंधकारमय बना देता है, बल्कि समाज की नींव को भी कमजोर करता है। बाल मजदूरी का अस्तित्व हमारे देश की सामाजिक और आर्थिक असमानताओं का दुखद परिणाम है।

831726934705ce5bf83f6a32d76fddfe1360008851252772059 685x1024

                           ऐसा बचपन गर सबका होता,

                           क्या फिर कोई अधिकारी

                                तो कोई गोवर्नर् होता ।

बाल मजदूरी का अर्थ है — 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों से काम कराना, जिससे उनका शारीरिक, मानसिक, नैतिक और सामाजिक विकास बाधित होता है। ये बच्चे अक्सर कारखानों, होटलों, दुकानों, ढाबों, खेतों, खदानों या घरेलू नौकर के रूप में कार्य करते हैं। उन्हें न्यूनतम मजदूरी मिलती है, काम की कोई निश्चित समय सीमा नहीं होती और कई बार अमानवीय व्यवहार सहना पड़ता है।

बाल मजदूरी के कारण:

1. गरीबी:
भारत में करोड़ों लोग आज भी गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं। जब माता-पिता की आय इतनी कम होती है कि वे परिवार का भरण-पोषण नहीं कर सकते, तो वे बच्चों को भी कमाने भेज देते हैं।

2. अशिक्षा:
अनेक अभिभावकों को यह जानकारी ही नहीं होती कि शिक्षा बच्चों का अधिकार है। वे शिक्षा की अहमियत नहीं समझते और बच्चों को स्कूल भेजने के बजाय काम पर भेज देते हैं।

3. बेरोजगारी:
बेरोजगारी के कारण जब बड़े लोगों को काम नहीं मिलता, तो बच्चों से कम वेतन पर काम करवा लिया जाता है। इससे बाल मजदूरी को बढ़ावा मिलता है।

4. सस्ते श्रमिक की मांग:
अनेक व्यवसायों में मालिक बच्चों को इसलिए काम पर रखते हैं क्योंकि वे वयस्कों की तुलना में कम वेतन में अधिक काम करते हैं और उनका शोषण आसानी से किया जा सकता है।

5. कानूनों की  लाचार व्यवस्था:
भारत में बाल श्रम निषेध कानून मौजूद है, लेकिन इसका पालन ढंग से नहीं होता। कई जगह सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से बच्चों को काम पर रखा जाता है।

                   बच्चे काम पर क्यों जा रहे है,

                  ये सवाल हमारा हो, संकल्प ले सरकार

                   किसी बच्चे का न जाए बचपन बेकार।

73ba9ce751350c5308a61c9f0db6b6942646392794062973659

बाल मजदूरी के दुष्परिणाम:

1. शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर असर:
कम उम्र में कठिन शारीरिक कार्य करने से बच्चों का विकास बाधित होता है। कई बार उन्हें विषैले रसायनों या भारी मशीनों के बीच काम करना पड़ता है, जिससे वे गंभीर बीमारियों का शिकार हो जाते हैं।

2. शिक्षा से वंचित रह जाना:
काम करने के कारण बच्चे स्कूल नहीं जा पाते। शिक्षा के बिना वे भविष्य में अच्छी नौकरी नहीं पा सकते और गरीबी के उसी चक्र में फंसे रहते हैं।

3. मानसिक शोषण और दुर्व्यवहार:
बाल श्रमिकों के साथ अक्सर दुर्व्यवहार किया जाता है। उन्हें डांटा, पीटा और अपमानित किया जाता है, जिससे उनके आत्मविश्वास और मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है।

4. अपराध की ओर झुकाव:
कई बार शोषण से तंग आकर बच्चे गलत रास्ता अपना लेते हैं। वे चोरी, तस्करी या अन्य गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त हो सकते हैं।

बाल मजदूरी पर कानून और प्रयास:

भारत सरकार ने बाल मजदूरी को रोकने के लिए कई कानून बनाए हैं:

बाल श्रम (प्रतिषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986:
यह अधिनियम 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को खतरनाक उद्योगों में कार्य करने से प्रतिबंधित करता है।

बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR):
यह आयोग बच्चों के अधिकारों की निगरानी करता है और बाल मजदूरी के खिलाफ कार्रवाई करता है।

शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE), 2009:
इसके तहत 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार दिया गया है।

इसके अलावा कई स्वयंसेवी संस्थाएँ (NGOs) जैसे बचपन बचाओ आंदोलन, चाइल्डलाइन इंडिया, प्रयास आदि इस दिशा में सराहनीय कार्य कर रही हैं।

समस्या का समाधान:

1. शिक्षा का प्रचार-प्रसार:
हर बच्चे को मुफ्त शिक्षा उपलब्ध कराना जरूरी है। स्कूलों को सुलभ, सुरक्षित और आकर्षक बनाया जाना चाहिए ताकि बच्चे शिक्षा की ओर आकर्षित हों।

2. आर्थिक सहायता:
गरीब परिवारों को आर्थिक सहायता दी जाए, ताकि वे बच्चों को काम पर भेजने के बजाय पढ़ा सकें।

3. कानूनों का कड़ाई से पालन:
बाल मजदूरी पर बने कानूनों को सख्ती से लागू किया जाए। जो भी बच्चों से काम करवा रहा है, उस पर कठोर दंड लागू किया जाए।

4. सामाजिक जागरूकता:
समाज को यह समझना होगा कि बच्चों की जगह स्कूल में है, न कि मजदूरी में। जागरूकता अभियान चलाकर आम जनता को इस विषय में संवेदनशील बनाया जा सकता है।

Image Editor Output Image 449274443 17480961563548013836578859465876

उपसंहार:
बाल मजदूरी किसी भी समाज के लिए कलंक है। यह बच्चों के सपनों की हत्या करती है। अगर हमें एक विकसित, सशक्त और समतामूलक राष्ट्र का निर्माण करना है, तो हमें बच्चों को शिक्षा, सुरक्षा और स्नेह देना होगा। बाल मजदूरी के खिलाफ लड़ाई केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर नागरिक का दायित्व है। हमें मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि “बचपन” मजदूरी नहीं, मुस्कान और मासूमियत से भरा हो।

 

Authoritative Sources

 

Use data, studies, or reports from:

 

Government websites (e.g., labour.gov.in , UNICEF, ILO)

 

Trusted NGOs (e.g., Bachpan Bachao Andolan)   

 

 

Must read– national voters day    

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!