राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा पर निबंध -in Hindi 1000+
भारत एक आस्था प्रधान देश है। यहाँ धर्म, संस्कृति और अध्यात्म का गहरा संबंध है। करोड़ों वर्षों से इस देश की पहचान उसकी धार्मिक परंपराओं और सांस्कृतिक मूल्यों से होती रही है। इसी परंपरा का एक जीवंत उदाहरण है अयोध्या स्थित श्रीराम जन्मभूमि मंदिर। प्रभु श्रीराम केवल एक धार्मिक प्रतीक ही नहीं, बल्कि वे मर्यादा पुरुषोत्तम, आदर्श राजा, आदर्श पुत्र और आदर्श पुरुष के रूप में पूजनीय हैं।
22 जनवरी 2024 को श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में भव्य प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव संपन्न हुआ। यह क्षण न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि सांस्कृतिक और राष्ट्रीय दृष्टि से भी ऐतिहासिक था। यह अवसर भारत की आत्मा, आस्था और अस्मिता का प्रतीक बन गया।

राम मंदिर का ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
1. प्राचीन मान्यता – अयोध्या को सदियों से श्रीराम की जन्मभूमि माना जाता है। स्कंदपुराण, वाल्मीकि रामायण और अन्य ग्रंथों में अयोध्या को “अयोध्या नगरी” के रूप में वर्णित किया गया है।
2. मध्यकालीन काल – 16वीं शताब्दी में यहाँ एक विवादित ढांचा निर्मित किया गया था। धीरे-धीरे यह स्थान धार्मिक विवाद का केंद्र बन गया।
3. आंदोलन और संघर्ष – आज़ादी के बाद कई दशकों तक राम जन्मभूमि आंदोलन चलता रहा। लाखों रामभक्तों ने मंदिर निर्माण के लिए आंदोलन, यात्रा और बलिदान दिया।
4. न्यायिक फैसला – 9 नवंबर 2019 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने अयोध्या भूमि विवाद पर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए पूरे क्षेत्र को श्रीराम जन्मभूमि न्यास को सौंप दिया।
5. शिलान्यास और निर्माण – 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर का भूमिपूजन और शिलान्यास किया। इसके बाद तेजी से निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ।
राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा (22 जनवरी 2024)
प्राण प्रतिष्ठा का अर्थ है – किसी मूर्ति या देव विग्रह में मंत्रोच्चार, यज्ञ और अनुष्ठानों के माध्यम से दिव्य शक्ति का आह्वान करना। यह प्रक्रिया मूर्ति को केवल एक शिल्पकृति से भगवान का सजीव स्वरूप बना देती है।
22 जनवरी 2024 को रामलला की मूर्ति का प्राण प्रतिष्ठा समारोह अत्यंत भव्य और ऐतिहासिक था।
देश-विदेश से संत, महात्मा, विद्वान और भक्त उपस्थित हुए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं एक भक्त की तरह पूजा-अर्चना में भाग लिया।
इस अवसर पर वैदिक मंत्रों की ध्वनि, घंटों और शंखनाद से सम्पूर्ण वातावरण पावन हो उठा।
पूरे भारत में इस दिन को “रामोत्सव” के रूप में मनाया गया।
रामलला की दिव्य मूर्ति
राम मंदिर के गर्भगृह में स्थापित रामलला की मूर्ति काले श्याम पत्थर से बनी है। इसे प्रसिद्ध मूर्तिकार योगी राज अरुण ने तैयार किया।
मूर्ति में बाल स्वरूप श्रीराम को दर्शाया गया है।
उनके चेहरे पर अद्भुत तेज और करुणा का भाव है।
हाथ में धनुष-बाण, माथे पर तिलक और पैरों में कमलासन की मुद्रा उन्हें दिव्यता प्रदान करती है।
सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व
राम मंदिर का निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा केवल एक धार्मिक घटना नहीं, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक एकता और पुनर्जागरण का प्रतीक है।
यह घटना हमें रामायण के आदर्शों – सत्य, धर्म, त्याग और मर्यादा – को अपनाने की प्रेरणा देती है।
मंदिर देश की करोड़ों जनता की आस्था का केन्द्र है।
यह भारत की प्राचीन परंपरा और आधुनिकता के बीच सेतु का कार्य करता है।
सामाजिक दृष्टिकोण
राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का समाज पर गहरा प्रभाव पड़ा।
1. एकता का संदेश – इसने सभी भारतीयों को जोड़ने का काम किया।
2. गौरव की अनुभूति – लंबे संघर्ष के बाद अपने आराध्य का भव्य मंदिर देखकर लोगों में गर्व की भावना जागी।
3. धार्मिक पर्यटन – अयोध्या अब वैश्विक स्तर पर एक प्रमुख धार्मिक पर्यटन केंद्र बन गया है। इससे स्थानीय रोजगार और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिला।
4. नैतिक शिक्षा – श्रीराम का आदर्श जीवन समाज को नैतिकता और सदाचार का मार्ग दिखाता है।
राष्ट्रीय और वैश्विक दृष्टिकोण
यह अवसर केवल भारत ही नहीं, बल्कि विश्वभर के रामभक्तों के लिए महत्वपूर्ण था।
नेपाल, श्रीलंका, थाईलैंड, इंडोनेशिया, मॉरीशस, अमेरिका और अन्य देशों में भी विशेष उत्सव मनाया गया।
इससे भारत की “सॉफ्ट पावर” यानी सांस्कृतिक प्रभावशक्ति विश्व स्तर पर बढ़ी।
राम मंदिर और आधुनिक भारत
राम मंदिर का निर्माण आज के भारत के लिए कई संदेश देता है –
1. धैर्य और संघर्ष का फल – यह दर्शाता है कि सत्य और धर्म की विजय अंततः निश्चित है।
2. राष्ट्रीय अस्मिता – मंदिर केवल ईंट और पत्थरों से नहीं बना, बल्कि करोड़ों भारतीयों की आस्था से खड़ा हुआ है।
3. विकास और समृद्धि – अयोध्या अब एक आधुनिक नगरी के रूप में विकसित हो रही है। चौड़ी सड़कें, रेलवे स्टेशन, हवाई अड्डा और पर्यटन सुविधाएँ तेजी से तैयार की गईं।
FAQ
Q. राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा 2025 में कब होगी?
A. राम मंदिर में भूतल पर रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 को हो चुकी है। इसके बाद 5 जून, 2025 को मंदिर के प्रथम तल पर \’राम दरबार\’ और राजा राम की प्राण-प्रतिष्ठा की गई। यह तीन दिवसीय आध्यात्मिक कार्यक्रम था, जिसमें वैदिक विद्वानों ने भाग लिया और यह मंदिर के पहले चरण के निर्माण के पूरा होने का प्रतीक था।
Q. राम मंदिर के निर्माता कौन हैं
A. अयोध्या में जो नया राम मंदिर बना है उसका निर्माण लार्सन एंड टूब्रो द्वारा किया गया है, जबकि चंद्रकांत सोमपुरा इसके वास्तुकार थे। इससे पहले, सम्राट विक्रमादित्य ने इस भूमि पर राम मंदिर का निर्माण करवाया था, जिसे बाद में 1528 में बाबर के आदेश पर मीर बाकी ने तोड़ दिया था और उसकी जगह बाबरी मस्जिद बनवा दी थी।
Q. अयोध्या में कौन सी नदी बहती है?
A.अयोध्या सरयू नदी के तट पर स्थित है. यह पवित्र नदी उत्तर प्रदेश में बहती है और इसे घाघरा नदी के नाम से भी जाना जाता है. रामायण और कई अन्य धार्मिक ग्रंथों में इस नदी का उल्लेख आता है.
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