दीपावली जैसा कि नाम से ही दर्शाता है दीप ज्वालित करने का त्योहार इसके पीछे भी एक कहानी हैं –
यह कहानी रामायण की है जहाँ श्री राम, उनकी पत्नी सीता और छोटे भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्षों के लंबे वनवास जो की कैकई माता के द्वारा श्री राम को दिया गया था,
जब ये वनवास समाप्त हुआ और श्री राम अपने घर अयोध्या लौटे तो वहाँ की जनता ने उनके आगमन पर हर्षों उलास के साथ सभी अयोध्या नगर के घरों में दीपक जलाकर अपनी खुशी व्यक्त की, मिढाईयां, बनाई, नये वस्त्र पहने, गीत गाये आदि,

दीपावली हो खिली- खिली
बच्चों पटाखों की जगह
चलाओ चरखली!!
तो जैसा कि हम बार बार दीपावली में प्रदूषण को कम करने को बात दोहरा रहे हैं क्योंकि पटाखों के चलते कई बच्चे अपनी आँखों की रोशनी तक खो देते है कुछ विकलांग भी हो जाते है, पटाखे भले कुछ समय के लिए आनन्द देते हों लेकिन पर्यावरण को बहुत नुकसान करते हैं, इसलिए हमे कोशिश करनी चाहिए कि प्रदूषण मुक्त दीपावली मनाई जाए ।
जो की एक सही “दीपावली” कि परिभाषा को दर्शाते हैं।
बिना लक्ष्मी- गणेश पूजन के दीपावली पूर्ण नहीं हो सकती इसलिए आपने देखा हो हम सभी के घरों मे सुबह से लेकर शाम तक साफ सफाई, मिठाइयाँ बनाना, नये कपड़े पहन संध्या काल में पूजन होना, सुख- समृद्धि की प्रभु से पूजन द्वारा आरती करना हमारी संस्कृति का ही हिस्सा बन चुका है।
इसके बाद सभी लोग अपने दोस्त रिश्तेदार आदि से गले मिलकर त्योहार की शुभकामनाएं देते है व मिठाई खिलाते हैं।
महिलाएं रंगोली बनाकर घर को सजाती हैं बच्चे बाहार पटाखे चलाते हैं।

इस त्योहार का आरंभ धनतेरस से होता है जिसमे नये बर्तन या सोने चाँदी की वस्तु की खरीदारी करने के लिए शुभ दिवस माना जाता है।
अगली है छोटी दिवाली जिसमे हम साफ सफाई, मिढाई बनाना आदि।
फिर तीसरे दिन बड़ी दिवाली दिन होता है जिसमे श्री राम अयोध्या लौटे जिसका जश्न मनाया गया।
इसके अगले दिन गोवर्धन पूजा होती है जिसमे मान्यता है की श्री कृष्ण ने एक उँगली पे गोवर्धन पर्वत उठा लिया था
आखिर में भाई दूज भाईयों को तिलक से समाप्त होता है।।
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