दसरा ,दशहरा, विजयदशमी क्या सब 1 हैं निबंध में जानें

दसरा ,दशहरा या विजयदशमी क्या सब एक हैं निबंध में जानें

विजयादशमी, जिसे हम दशहरा या दसारा के नाम से भी जानते हैं, विजयादशमी का पर्व कई नामों से जाना जाता है, लेकिन इन सबका मूल अर्थ एक ही है: विजय का दसवां दिन।’

दसरा ,दशहरा या विजयदशमी क्या सब एक हैं निबंध में जानें
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१ . दशहरा – उत्तर व् मध्यभारत में मनाया जाता है , पीछे की कथा – दस सिरों वाले रावण को हराया था व उसपे विजय प्राप्त की। 

. विजयादशमी – पूरे भारत में मनाया जाता है। पीछे की कथा -माँ दुर्गा द्वारा महिषासुर पर अंतिम विजय और शुभ कार्यों की शुरुआत।

३ . दसारा (Dasara)– कर्नाटक (मैसूर) में मनाया जाता है पीछे का कारण – यह शक्ति की देवी की पूजा पर केंद्रित एक भव्य उत्सव होता है। 

यह पर्व सिर्फ़ एक दिन का उत्सव नहीं है, बल्कि यह नौ दिनों तक चलने वाले नवरात्रि उत्सव की पूर्णता है।

       ”  है जगत जननी , है काल रात्रि , है कुशमुण्डा ,             

              तो है कभी गौरी , है नौ देवी , है तभी तो                                         

                   विजय दशमी।  “

१ . माँ दुर्गा और महिषासुर की कथा-

शक्ति की विजय: नौ दिनों तक महिषासुर नामक राक्षस से भीषण युद्ध करने के बाद, माँ दुर्गा ने दसवें दिन उसका वध कर दिया। इसलिए, इन नौ रातों को नवरात्रि कहा जाता है और दसवें दिन को विजयादशमी, क्योंकि यह शक्ति की जीत का दिन है। 

२ . राम और रावण की कथा- 

राम ने दस सिर वाले राक्षस रावण का वध करके उस पर विजय प्राप्त की थी इस विजय में भी उन्हें बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा , और बहुत समय व संघर्ष के बाद विजय हांसिल कर वे अयोध्या प्रस्थान कर पाए।  इस दिवस के २० दिनों पश्चात उनके आगमन में द्वीप प्रज्वलित कर अपनी ख़ुशी राज्य के लोगों ने जताई जिस पर्व को हम दीपावली के नाम से जानते है। 

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विजयादशमी का महत्व: सफलता और नई शुरुआत का प्रेरक संदेश

विजयादशमी हमें एक बहुत ही सकारात्मक और शक्तिशाली संदेश देती है, जो आपके व्यक्तिगत जीवन और करियर के लिए बेहद ज़रूरी है।यह सिर्फ़ एक छुट्टी का दिन नहीं है, बल्कि यह वह दिन है जब हमें यह याद दिलाया जाता है कि जीवन में कितनी भी चुनौतियाँ क्यों न हों, अंत में हमेशा सत्य और अच्छाई की जीत होती है। यह पर्व हर छात्र और हर नागरिक के लिए प्रेरणा का एक महान स्रोत है।

रावण दहन सिर्फ़ एक पुतला जलाना नहीं है। यह आपके अंदर की बुराइयों को ख़त्म करने का संकल्प है:

क्रोध और अहंकार का दहन: इस दिन हमें संकल्प लेना चाहिए कि हम अपने अहंकार, आलस्य और क्रोध जैसी बुरी आदतों को छोड़ दें।

सत्य के मार्ग पर चलना: विजयादशमी हमें याद दिलाती है कि संघर्ष चाहे कितना भी बड़ा हो, हमें हमेशा सच्चाई और ईमानदारी के रास्ते पर ही चलना चाहिए। 

“जिस दिन हम अपनी बुरी आदतों को ख़त्म कर देते हैं, वही हमारे लिए असली विजयादशमी है।”

विभिन्न क्षेत्रों में उत्सव

विजयादशमी को पूरे भारत में अलग-अलग, लेकिन उत्साहपूर्ण तरीक़ों से मनाया जाता है, जो इसकी सांस्कृतिक विविधता को दर्शाते हैं।

रामलीला: उत्तर भारत में, इस विजय को दस दिनों तक चलने वाली रामलीला के माध्यम से जीवंत किया जाता है। आख़िरी दिन, विशाल रावण, मेघनाद और कुम्भकर्ण के पुतलों का दहन किया जाता है, जो हमारे अंदर की बुराइयों को ख़त्म करने का प्रतीक है।

मेला: जगह-जगह मेले लगते हैं, जहाँ लोग इकट्ठा होते हैं और इस उत्सव का आनंद लेते हैं।

सिंदूर खेला (Sindoor Khela): पश्चिम बंगाल और असम में, विजयादशमी के दिन महिलाएँ माँ दुर्गा को सिंदूर लगाती हैं और एक-दूसरे को भी सिंदूर लगाती हैं।

जीवन में प्रेरणा: सफलता का मार्ग

विजयादशमी का पर्व सिर्फ़ अतीत की विजय नहीं है, बल्कि यह भविष्य की सफलता के लिए प्रेरणा है।

  • लक्ष्य पर ध्यान (Focus on Goal): भगवान राम ने अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित किया था। हमें भी अपने करियर और जीवन के लक्ष्यों पर अटल रहना चाहिए।

  • कठिनाइयों से लड़ना (Facing Challenges): माँ दुर्गा ने नौ दिनों तक लगातार युद्ध किया। यह हमें सिखाता है कि सफलता रातों-रात नहीं मिलती, बल्कि निरंतर प्रयास (continuous effort) और दृढ़ संकल्प (determination) से मिलती है।

  • सकारात्मकता को अपनाना: इस दिन हमें अपने अंदर से नकारात्मकता को जला देना चाहिए और एक सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ हर काम को शुरू करना चाहिए।

संस्कृत श्लोक (प्रेरणा): “यत्र धर्मः तत्र जयः।” (अर्थ: जहाँ धर्म है, वहीं जीत है।) दशहरा हमें याद दिलाता है कि हमारा धर्म सत्य, निष्ठा और मेहनत है, और इन्हीं से हमें जीवन में विजय प्राप्त होगी।

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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

1. विजयादशमी 2025 की सही तारीख़ क्या है? 2025 में विजयादशमी (दशहरा) अक्टूबर महीने की 11 तारीख, शनिवार को मनाया जाएगा।

2. विजयादशमी पर कौन से काम करना शुभ माना जाता है? इस दिन नया काम, नई पढ़ाई, या नई मशीन ख़रीदना बहुत शुभ माना जाता है। वाहन, औज़ार, और किताबों की पूजा करना भी इस दिन की एक महत्वपूर्ण परंपरा है।

3. विजयादशमी का महत्त्व क्या है? इसका महत्त्व दो बातों में है: बुराई पर अच्छाई की विजय (राम-रावण की कथा) और शक्ति की जीत (माँ दुर्गा द्वारा महिषासुर का वध)। यह दिन हमें जीवन में नया संकल्प लेने के लिए प्रेरित करता है।

4. क्या विजयादशमी और दशहरा एक ही हैं? हाँ, विजयादशमी और दशहरा एक ही त्योहार के अलग-अलग नाम हैं। विजयादशमी नाम ज़्यादा औपचारिक है और यह विशेष रूप से विजय के दसवें दिन को दर्शाता है।

5. छात्र इस दिन का इस्तेमाल अपनी सफलता के लिए कैसे कर सकते हैं? छात्र इस दिन अपनी किताबों और कलमों की पूजा (सरस्वती पूजा के रूप में) करके अपनी पढ़ाई की शुरुआत कर सकते हैं। उन्हें यह संकल्प लेना चाहिए कि वे अपने आलस्य (laziness) पर विजय प्राप्त करेंगे और अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करेंगे।

 

दशहरा कैसे मनाया जाता है?

पूरे भारत में दशहरा को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है:

  • उत्तर भारत: रावण, मेघनाद, और कुंभकर्ण के बड़े-बड़े पुतले जलाए जाते हैं। जगह-जगह पर मेले लगते हैं और रामलीला का मंचन होता है।

  • दक्षिण भारत: इस दिन आयुध पूजा की जाती है, जहाँ लोग अपने औज़ारों, किताबों और वाहनों की पूजा करते हैं।

  • मिठाइयाँ और पकवान: लोग अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को मिठाई और उपहार देते हैं, जिससे खुशियाँ बांटी जाती हैं।

दशहरा एक ऐसा त्योहार है जो हमें साहस, सकारात्मकता और विजय का संदेश देता है। यह हमें हर दिन एक बेहतर इंसान बनने और अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रेरित करता है। हमें इस पर्व के संदेश को अपने जीवन में उतारना चाहिए।

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